दीपावली जिसे दिवाली के नाम से भी जाना जाता है। भारत के बड़े त्योहारों में से एक है। यह प्रकाश के अंधकार पर विजय, ज्ञान के अज्ञान पर और अच्छाई के बुराई पर जीत का प्रतीक है। यह त्योहार खुशी, भक्ति और एकता की भावना को बढ़ावा देता है और हर साल पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है और इसका आध्यात्मिक महत्व बहुत गहरा है दीपावली का अर्थ “दीयों की पंक्ति” इस त्योहार का मुख्य उद्देश्य घर और आसपास की जगहों को दीयों की रोशनी से सजाना है। जिससे घर परिवार में खुशहाली बनी रहे।
दीपावली से जुड़ी कहानियाँ
दीपावली के त्योहार की एक प्रमुख पौराणिक कथा भगवान राम के अयोध्या वापसी से जुड़ी है। जब उन्होंने रावण पर विजय प्राप्त की थी भगवान श्री राम के स्वागत मे अयोध्या के निवासियों ने तेल के दीपक जलाए थे, जोकी अच्छाई के बुराई पर विजय का प्रतीक है। इसके अलावा दीपावली का संबंध देवी लक्ष्मी से भी है जो धन की देवी मानी जाती है। दीपावली के दिन माता लक्ष्मी की पूजा करने से पूरे साल धन-धान्य और खुसियों प्राप्त होती है।
दीपावली 2024 कब है
इस साल दीपावली 31 अक्टूबर 2024 को मनाई जाएगी। अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर की शाम को शुरू होगी, जिससे यह दिन माता लक्ष्मी पूजा के लिए शुभ दिन है हालांकि भारत मे कुछ जगह दीपावली 01 नवंबर को भी मनाई जाएगी।
दीपावली के पाँच दिन
दीपावली का उत्सव पाँच दिनों तक चलता है और हर दिन का अपना अलग महत्व और परंपराएं होती है आइए जानते है दीपावली के पाँच दिन कौन कौन से हैं।
तारीख | दिन | त्योहार |
29 अक्टूबर 2024 | मंगलवार | धनतेरस |
30 अक्टूबर 2024 | बुधवार | छोटी दिवाली |
31 अक्टूबर 2024 | गुरुवार | बड़ी दिवाली |
02 नवंबर 2024 | शनिवार | गोवर्धन पूजा |
03 नवंबर 2024 | रविवार | भाई दूज |
नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली – दिवाली के दूसरे दिन को नरक चतुर्दशी कहा जाता है, जो भगवान कृष्ण के नरकासुर पर विजय की याद दिलाता है। इस दिन लोगों के द्वारा अपने घरों की साफ सफाई की जाती है तथा घर को सजाया जाता है और दीये जलाकर पूरे घर को रोशन किया जाता है जिससे नकारात्मक और अंधकार को दूर किया जा सके।
दीपावली (बड़ी दीपावली) – दिवाली के मुख्य दिन घर में माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है लोग शाम को अपने घरों मे लक्ष्मी माता की पूजा करते है, और साथ ही अपने घरों को दीयों से रोशन करते है पटाखे जलाते है इस दिन लोग मिठाइयों और उपहारों का आदान प्रदान करते है और एक दूसरे को शुभ कामनायें देते है।
गोवर्धन पूजा – दिवाली के चौथे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है जो भगवान कृष्ण के गोवर्धन पर्वत उठाने की घटना को याद करती है इस दिन लोग विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाकर भगवान कृष्ण को भोग अर्पित करते है।
भाई दूज – दीपावली के आखरी दिन भाई दूज का पर्व मनाया जाता है जो भाई बहन के प्यार का प्रतीक है इस दिन बहने अपने भाइयों की लंबी उम्र और खुश हाली के लिए तिलक करती है और भाई उनकी रक्षा का बचन देते है।
दिवाली का धार्मिक महत्व
दिवाली का धार्मिक महत्त्व पूरे भारत मे विभिन्न परंपराओं और कथाओं से जुड़ा है इसमे प्रमुख कथा रामायण से ली गई है, जो भगवान राम की अयोध्या वापसी और रावण पर विजय का उत्सव है एक अन्य परंपरा भगवान कृष्ण द्वारा नरकासुर पर विजय को याद करती है इसके अलावा माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है जो धन की देवी है पूरे भारत मे अलग अलग ढंग से मनाया जाने वाला यह पर्व, भारत के अलावा दुनियाभर के भारतीय समुदायों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है दीपावली का उत्सव परिवार और दोस्तों के बीच एकता प्रेम और परंपराओं को मनाने का अवसर है लोग एक दूसरे के घर जाते है उपहार और मिठाइयां देते है और इस उत्सव मे अपनी खुशियों को एक दूसरे से साझा करते है।
दीपावली कैसे मनाएं
दीपक और रंगोली – दीपक जलाना दीपावली का एक प्रमुख हिस्सा है यह अंधकार पर प्रकाश का प्रतीक है और इससे नकारात्मक ऊर्जा से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है वही रंगोली से घरों की सजावट होती है जो देवी देवताओं व मेहमानों के स्वागत के लिए बनाई जाती है।
पटाखे जालना – दीपावली पर आतिशबाजी का आयोजन किया जाता है जो उत्सव का एक प्रमुख हिस्सा है हालांकि पर्यावरण की सुरक्षा के लिए अब इसके इस्तेमाल को नियंत्रित किया गया है और ग्रीन कैकर्स का उपयोग बढ़ाया जा रहा है।
उपहार और मिठाईया – दीपावली प्रेम और खुशियों को आदान प्रदान करने वाला त्योहार है इस दिन लोग अपने परिवार दोस्तों और पड़ोसियों को उपहार स्वरूप मिठाइयां देते है।
पूजा और अनुस्थान – दीपावली पर माता लक्ष्मी और गणेश भगवान की पूजा की जाती है लक्ष्मी पूजा के उपरांत लोग घर मे सुख, धन धान्य एवं खुश हाली की कामना करते हैं।