
होली हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे फाल्गुन मास में मनाया जाता है। शास्त्रों में इसे एकता और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना गया है। कहते है होली का पर्व लोगों के मन में प्रेम और विश्वास को बढ़ाने का अवसर है। इस दिन सभी पुराने गिले शिकवे को दूर करते हुए, एक दूसरे को गले लगाकर इस स्नेह भरे पर्व को मनाते है। वही होली से एक दिन पहले होलीका दहन करने की भी परंपरा है, जिसे आत्मा की शुद्धि और मन की पवित्रता से जोड़ा जाता है। पंचाग की माने तो हर साल फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि की शाम को होलीका दहन किया जाता है जबकि अगले दिन रंगों की होली मनाई जाती है। परंतु इस बार होली की तिथि को लेकर लोगों में असमंजस बना हुआ है। ऐसे में आइए जानते है कि इस बार होली कब मनाई जाएगी।
होली तिथि

पंचांग के अनुसार इस बार पूर्णिमा तिथि 13 मार्च 2025 को सुबह 10 बजकर 35 मिनट से शुरू हो रही है। इसका समापन 14 मार्च 2025 को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर होगा। ऐसे में 13 मार्च को होलिका दहन है और इसके अगले दिन यानी 14 मार्च 2025 को रंगों की होली मनाई जाएगी।
ब्रज क्षेत्र, जिसमें मथुरा, वृंदावन, गोवर्धन, गोकुल, नंदगांव और बरसाना शामिल है यहा होली बहुत ही धूमधाम के साथ मनाई जाती है यह त्योहार दो दिनों तक मनाया जाता है होलीका धन पर, लोग बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप मे अलाव जलाते है फिर अगले दिन रंग या गुलाल से होली खेली जाती है। इसके साथ ही घर पर बनी मिठाइयों का आनंद लिया जाता है।
होली का उत्सव कैसे मनाए

होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. इस दिन लोग एक-दूसरे पर गुलाल, रंग लगाकर होली मनाते हैं और तरह-तरह के पकवान बनाते हैं. वहीं अलग-अलग राज्यों में होली मनाने का खास तरीका है।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचाग के अनुसार इस साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि 13 मार्च 2025 की सुबह 10:25 बजे से शुरू हो रही है पूर्णिमा तिथि का समापन 14 मार्च 2025 की दोपहर 12:23 बजे पर हो रहा है ऐसे में होलीका धन बुधवार 13 मार्च 2025 को मनाई जाएगी होलीका दहन को छोटी होली भी कहते है होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रात 10:45 बजे से लेकर रात 01:30 बजे तक है।
क्यों मनाई जाती है होली

पौराणिक कथा के अनुसार, हिरण्यकश्यप के बेटे प्रह्लाद भगवान विष्णु के बहुत बड़े भक्त थे. पिता हिरण्यकश्यप को अपने बेटे की यह भक्ति बिल्कुल रास नहीं आती थी. एक बार हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका के साथ प्रह्लाद को मारने की साजिश रची. दरअसल, होलिका को ऐसा वस्त्र वरदान में मिला हुआ था जिसको पहनकर वो आग में बैठ सकती थी. खास बात ये थी कि इस वस्त्र को पहनने से उसे आग नहीं जला सकती थी. यही वस्त्र पहनकर होलिका प्रह्लाद को लेकर आग में बैठ गई, लेकिन भगवान विष्णु के आशीर्वाद से वस्त्र भक्त प्रह्लाद के शरीर में लिपट गया और उसे कुछ नहीं हुआ. वहीं होलिका आग में जल गई. इसलिए बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में होली का पर्व मनाया जाता है।
चंद्र ग्रहण समय

14 मार्च यानी होली के दिन साल का पहला चंद्र ग्रहण लगेगा। यह ग्रहण सुबह 09 बजकर 29 मिनट से लेकर दोपहर 03 बजकर 29 मिनट तक रहेगा। इस दौरान शुभ कार्यों को करने की मनाही होती है
शुभ योग

पंचांग के अनुसार होलिका दहन पर पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के साथ धृति योग बन रहा है वही होली के दिन यानी 14 मार्च को उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र का साथ-साथ शूल योग का भी निर्माण होगा। ऐसे मे पूजा पाठ करने से जीवन में सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है।
पूजा विधि
होलिका दहन के दिन सुबह स्नान कर लें।
फिर पूजा स्थान पर गाय के गोबर से होलिका और प्रह्लाद की प्रतिमा बनाएं।
इसके बाद कच्चा सूट, गुड, हल्दी, मूंग, बताशे और गुलाल नारियल चढाएं।
अब मिठाइयां और फल चढ़ाएं।
होलिका की पूजा के साथ ही भगवान नरसिंह की भी उपासना करें।
अंत में होलिका के चारों और परिक्रमा करें।