
भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-आराधना का सबसे बड़ा पर्व महाशिवरात्रि हर वर्ष फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। सभी शिवभक्तों को हर साल महाशिवरात्रि के पर्व का इंतजार बेसब्री से रहता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हुए विधि-विधान के साथ भगवान शिव की पूजा-आराधना, मंत्रोचार और अनुष्ठान आदि किया जाता है। इस दिन ऐसा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाओं को भोले भंडारी जरूर पूरी करते है। इस बार पंचांग में भेद के कारण चतुर्दशी तिथि दो दिन पड़ रही है जिसके कारण भ्रम की स्थिति बनी हुई कि महाशिवरात्रि का त्योहार कब मनाना ज्यादा शुभ और मंगलकारी होगा।
महाशिवरात्रि के अनुष्ठानों में शिव लिंग को फूलों और बेल के पत्तों से सजाना शामिल है। भक्त पूरे दिन उपवास रखते हैं और भगवान शिव को भांग, फल, शहद, घी, मिठाई और दूध चढ़ाते हैं। वे देवता से आशीर्वाद लेने के लिए मंदिर जाने से पहले सुबह जल्दी स्नान करते हैं।
महाशिवरात्रि की शाम को लोग मंदिर में इकट्ठा होते हैं और शिव लिंग की पूजा करते हैं। भक्त दीये जलाते हैं और पूरी रात मंदिर में बिताते हैं। भारत भर के कई मंदिरों में रात में भगवान शिव और पार्वती की पालकी पर शानदार जुलूस निकाले जाते हैं।
महाशिवरात्रि व्रत की समाप्ति के लिए आम तौर पर प्रभाव सात भोजनविक लिया जाता है। प्रसाद में खाद्य सामग्री, फल और मिठाइयाँ शामिल हो सकती हैं।
महाशिवरात्रि तिथि 2025

पौराणिक मान्यता है कि महादेव सृष्टि का सृजन और प्रलय सांयकाल की प्रदोषवेला में ही करते हैं इसलिए इनकी पूजा आराधना और मंत्रों का जाप और जलाभिषेक का फल प्रदोषकाल में ही श्रेष्ठ माना गया है। त्रयोदशी तिथि का अंत और चतुर्दशी तिथि के आरम्भ का संधिकाल ही इनकी परम अवधि है। वैदिक पंचांग के अनुसार इस वर्ष फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 26 फरवरी को सुबह 11 बजकर 08 मिनट पर शुरू होगी, जिसका समापन 27 फरवरी को सुबह 8 बजकर 54 मिनट पर होगा। हिंदू धर्म में बहुत से व्रत-त्योहार को उदया तिथि के आधार पर मनाने की परंपरा है। हालांकि महाशिवरात्रि पर भगवान शिव का पूजन और जलाभिषेष रात्रि में करने के विधान है इसलिए 26 फरवरी को ही महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा।
महाशिवरात्रि 2025 पूजा विधि

महाशिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर ब्रह्म मुहूर्त में ही स्नान कर लें और फिर व्रत का संकल्प लें।
इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की सुबह शाम दोनों समय पूजा करें। साथ ही इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती को वस्त्र अर्पित करें।
महाशिवरात्रि पर सुहागन महिलाएं श्रृंगार का सारा सामान माता पार्वती को जरूर अर्पित करें।
साथ ही इस दिन महाशिवरात्रि के मौके पर भोलेनाथ को बेलपत्र, भांग, धतूरा जरूर अर्पित करें। साथ ही इस दिन पूरे शिव परिवार को यानी भगवान गणेश, भगवान कार्तिकेय, भगवान शिव, माता पार्वती और नंदी महाराज को भी वस्त्र जरूर अर्पित करें।
महाशिवरात्रि पर चार पहर की पूजा का महत्व और पूजन मुहूर्त

शास्त्रों में महाशिवरात्रि पर चार पहर की पूजा करने का विशेष विधान होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि पर रात्रि के चारों पहर में भगवान शिव की पूजा-आराधना करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है। ऐसी मान्यता है कि चार पहर में चार पहर में पूजा करने से मनुष्य को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
महाशिवरात्रि का महत्व

शास्त्रों के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था इस कारण इस दिन शिव-पार्वती जी की पूजा करने के साथ व्रत रखने का विधान है। इसके साथ ही शिव जी का जलाभिषेक करने से वह अति प्रश्न होते है।
शिवलिंग पूजन की महिमा
शिवलिंग भगवान शिव का दिव्य और चैतन्य स्वरूप है। यह ब्रह्मांड की सृजन, पालन और संहार शक्ति का प्रतीक माना जाता है। शिव पुराण के अनुसार, शिवलिंग की पूजा करने से सभी पापों का नाश होता है, जीवन में शांति और समृद्धि आती है और भक्तो को भौतिक और आध्यात्मिक सुखों की प्राप्ति होती है।
शिवलिंग पूजन से मिलने वाले फल

सभी प्रकार के पापों का नाश- शिवलिंग पर जल और पंचामृत चढ़ाने से व्यक्ति के पूर्व जन्मों और इस जन्म के पाप समाप्त हो जाते हैं।
अखंड सुख- समृद्धि- शिवलिंग की पूजा करने से घर में सुख, शांति और धन की वृद्धि होती है।
संतान सुख- संतान प्राप्ति के लिए पार्थिव शिवलिंग का पूजन करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
रोग और कष्टों से मुक्ति– विशेष रूप से शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर जल और बेलपत्र चढ़ाने से गंभीर बीमारियों और कष्टों से मुक्ति मिलती है।
शत्रु बाधा से मुक्ति- शिवलिंग पूजन करने से शत्रु और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है।
वैवाहिक सुख – विवाह में बाधा हो या दांपत्य जीवन में समस्याएं हों, तो शिवलिंग पर केसर और दूध अर्पित करने से विवाह और वैवाहिक जीवन में मधुरता आती है।
मोक्ष प्राप्ति- शिवरात्रि पर रात्रि जागरण करके शिवलिंग पूजन करने से व्यक्ति जन्म-मरण के बंधनों से मुक्त हो सकता है।
महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर विशेष रूप से दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से अभिषेक करने से व्यक्ति को मनोवांछित फल प्राप्त होते है इस दिन चार प्रहर की पूजा का विशेष महत्व है
पहला प्रहर – स्वास्थ्य और दीर्घायु प्राप्ति के लिए
दूसरा प्रहर – धन और समृद्धि के लिए
तीसरा प्रहर – मनोकामना पूर्ति और संतान सुख के लिए
चौथा प्रहर – मोक्ष और शिव कृपा प्राप्त करने के लिए
महाशिवरात्रि पर चार प्रहर पूजा मुहूर्त

प्रथम प्रहर पूजा समय – 26 फरवरी को शाम 06 बजकर 19 मिनट से रात 09 बजकर 26 मिनट तक
द्वितीय प्रहर पूजा समय – 26 फरवरी को रात 09 बजकर 26 मिनट से रात 12 बजकर 34 मिनट तक
तृतीय प्रहर पूजा समय – 27 फरवरी की रात 12 बजकर 34 मिनट से सुबह 03 बजकर 41 मिनट तक
चतुर्थ प्रहर पूजा समय – 27 फरवरी को सुबह 03 बजकर 41 मिनट से सुबह 06 बजकर 44 मिनट तक
शिव पुराण में वर्णित है कि शिवरात्रि पर भगवान शिव स्वयं शिवलिंग में निवास करते है और जो भक्त इस दिन सच्चे मन से उनकी आराधना करता है उसे विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।