शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri)  2024

शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ पितृ पक्ष के समापन के बाद यानी आश्विन आमवस्या के बाद ही होता है। आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को कलश स्थापना के साथ शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ होता है। यह नवरात्रि शरद ऋतु में आती है, इसलिए इसे शारदीय नवरात्रि कहते है। शारदीय नवरात्रि के 9 दिनों में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की विधि विधान से पूजा करते है। दुर्गा अष्टमी या महा अष्टमी के दिन कन्या पूजा, नवमी को हवन और दशमी के दिन शारदीय नवरात्रि का समापन हो जाता है।

शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ

शारदीय नवरात्रि 2024  कलश स्थापना मुहूर्त :-

3 अक्टूबर से शुरू हो रहे शारदीय नवरात्रि का कलश स्थापना करने के लिए दो शुभ मुहूर्त प्राप्त हो रहे हैं. कलश स्थापना के लिए सुबह में शुभ मुहूर्त 6 बजकर 15 मिनट से सुबह 7 बजकर 22 मिनट तक है. सुबह में घट स्थापना के लिए आपको 1 घंटा 6 मिनट का समय प्राप्त होगा.

3 अक्टूबर 2024 से शुरू हो रहे शारदीय नवरात्रि का कलश स्थापना करने के लिए दो शुभ मुहूर्त प्राप्त हो रहे है। कलश स्थापना के लिए सुबह में शुभ मुहूर्त 6 बजकर 15 मिनट से सुबह 7 बजकर 22 मिनट तक है। सुबह में घट स्थापना के लिए 1 घंटा 6 मिनट का समय प्राप्त होगा।

नवरात्रि का पहला दिन : 3 अक्टूबर 2024, मां शैलपुत्री की पूजा :-

नवरात्रि के पहले दिन यानी 3 अक्टूबर को कलश स्थापना करने के साथ-साथ मां दुर्गा के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना की जाएगी और व्रत रखा जाएगा. इस वर्ष घट स्थापना यानी कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 3 अक्टूबर की सुबह 6 बजकर 15 मिनट से लेकर सुबह के 7 बजकर 22 मिनट तक रहेगा.

नवरात्रि का दूसरा दिन : 4 अक्टूबर 2024, मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का दिन

नवरात्रि के दूसरे दिन  मां भगवती के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा की जाती है। माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए हजारों  वर्षों तपस्या की थी, उसी तप के कारण माता को ब्रह्मचारिणी कहा गया।

नवरात्रि का तीसरा दिन : 5 अक्टूबर 2024, मां चंद्रघंटा की पूजा का दिन

नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघण्‍टा की पूजा की जाती है। मां का यह स्‍वरूप ममता का रूप अत्‍यंत तेजस्‍वी और शक्ति संपन्‍न माना गया है। मां के शीर्ष पर अर्द्धचंद्र के आकार का घंटा शोभायमान है, इसलिए मां को चंद्रघण्‍टा का नाम  दिया गया।

नवरात्रि का चौथा दिन : 6 अक्टूबर 2024, मां कूष्मांडा की पूजा का दिन

नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्‍मांडा देवी की पूजा की जाती है। मां कुष्‍मांडा देवी की पूजा में पेठे का भोग लगाने का विशेष महत्‍व माना गया है। इसके साथ मां कुष्‍मांडा को पीला रंग सबसे प्रिय है। उनकी पूजा में  पीले रंग के फल, फूल और मिठाई अर्पित करनी चाहिए। आइए आपको बताते हैं कि नवरात्रि के चौथे दिन की पूजाविधि, भोग, मंत्र और आरती।

शारदीय नवरात्रि का पांचवा दिन: 7 अक्टूबर, सोमवार: स्कंदमाता पूजा

नवरात्र का पांचवां दिन स्‍कंदमाता का समर्पित होता है और मां का यह रूप प्रेम और स्‍नेक का प्रतीक माना जाता है। शिव और शक्ति के मिलन से स्‍कंद का जन्‍म होता है, इसलिए मां के पांचवें रूप का नाम स्‍कंदमाता पड़ा है।

शारदीय नवरात्रि का छठा दिन: 8 अक्टूबर, मंगलवार: कात्यायनी पूजा

नवदुर्गा के छठवें स्वरूप में मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. मां कात्यायनी का जन्म कात्यायन ऋषि के घर हुआ था अतः इनको कात्यायनी कहा जाता है. इनकी चार भुजाओं मैं अस्त्र शस्त्र और कमल का पुष्प है, इनका वाहन सिंह है. ज्योतिष में बृहस्पति का सम्बन्ध इनसे माना जाना चाहिए. 

नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. मां कात्यायनी को देवी दुर्गा का छठा रूप माना गया है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवी कात्यायनी को ऋषि की पुत्री होने के कारण कात्यायनी नाम मिला था. देवी दुर्गा के इस रूप को लेकर कहा जाता है कि जो भी भक्त नवरात्रि के छठे दिन मां की सच्चे मन से विधि-विधान के साथ आराधना करता है. मां स्वयं उस भक्त के सभी रोग-दोष दूर कर उसे सुख-समृद्धि प्रदान करती है।

शारदीय नवरात्रि का सातवां दिन: 9 अक्टूबर, बुधवार: कालरात्रि पूजा

इस दिन मां दुर्गा की सातवीं शक्ति मां कालरात्रि की पूजा अर्चना की जाती है। मां दुर्गा के क्रोध की वजह से माता का वर्ण श्यामल हो गया और इसी श्यामल से मां कालरात्रि का प्राकट्य हुआ। शुंभ अशुंभ और रक्तबीज का संहार करने वाले इस स्वरूप को शुभंकरी भी कहा जाता है।

शारदीय नवरात्रि का आठवां दिन: 10 अक्टूबर, गुरुवार: महागौरी पूजा

नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है और कन्या पूजन किया जाता है। आदिशक्ति श्रीदुर्गा का अष्टम रूप श्री महागौरी हैं। मां महागौरी का रंग अत्यंत गौर वर्ण है इसलिए इन्हें महागौरी के नाम से जाना जाता है। मान्यता के अनुसार अपनी कठिन तपस्या से मां ने गौर वर्ण प्राप्त किया था। तभी से इन्हे उज्जवला स्वरूपा महागौरी, धन ऐश्वर्य प्रदायिनी, चैतन्यमयी त्रैलोक्यपूज्य मंगला, शारीरिक मानसिक और सांसारिक ताप का हरण करने वाली माता महागौरी का नाम दिया गया।

शारदीय नवरात्रि का नौवां दिन: 11 अक्टूबर, शुक्रवार: सिद्धिदात्री पूजा

नवरात्र के आखिरी यानी नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। ऐसे में इस बार यह पूजा शुक्रवार, 11 अक्टूबर को की जाएगी। आप मां सिद्धिदात्री की पूजा में बैंगनी रंग के वस्त्र धारण कर सकते हैं।