चारधाम यात्रा: आस्था, अध्यात्म और आत्मा का संगम

चारधाम यात्रा 2025 एक बार फिर से श्रद्धालुओं का स्वागत करने के लिए तैयार है। भारतवर्ष की आस्था का प्रतीक, उत्तराखंड स्थित चारधाम यात्रा न केवल धर्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह आत्मिक शांति और प्राकृतिक सौन्दर्य के आनंद के लिए भी महत्वपूर्ण है।

चारधाम यात्रा आरंभ एवं समापन तिथि 2025

यमनोत्री धाम – 30 अप्रैल 2025 से 23 अक्टूबर 2025

गंगोत्री धाम  – 30 अप्रैल 2025 से 22 अक्टूबर 2025

केदारनाथ धाम – 2 मई 2025 से 23 अक्टूबर 2025

बद्रीनाथ धाम – 4 मई 2025 से 6 नवंबर 2025

पंजीकरण प्रक्रिया (Registration Process)

चारधाम यात्रा के लिए  पंजीकरण अनिवार्य  है।

चारधाम यात्रा के लिए पंजीकरण करने के लिए आपको उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद की आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा और वहा अपना आनलाईन पंजीकरण प्रक्रिया को पूरा करना होगा। जिसमे अपना आधार कार्ड, नाम, पता, मोबाईल नंबर, यात्रा शुरू करने की तारीख से समाप्ति की तारीख जैसी जानकारी देनी होंगी।

ऑनलाइन पंजीकरण

वेबसाइट: https://registrationandtouristcare.uk.gov.in

मोबाइल ऐप: Tourist Care Uttarakhand

ऑनलाइन पंजीकरण के लिए OTP वेरीफिकेशन और आधार की आवश्यकता होती है।

 ऑफलाइन पंजीकरण

हरिद्वार, ऋषिकेश, श्रीनगर, बड़कोट, गुप्तकाशी जैसे स्थानों पर 24×7 काउंटर।

यात्रा के पहले 15 दिनों तक ऑफलाइन पंजीकरण विशेष रूप से उपलब्ध रहेगा।

यमुनोत्री

यमुनोत्री यमुना नदी का स्रोत और हिंदू धर्म में देवी यमुना का प्रमुख स्थान है यमुनोत्री धाम जिला उत्तरकाशी में गढ़वाल हिमालय में 3293 मीटर, 10804 फीट ऊंचाई पर स्थित है उत्तराखंड के चार धाम तीर्थ यात्रा में यह चार स्थलों में से एक है यमुना नदी के स्रोत यमुनोत्री का पवित्र गढ़, गढ़वाल हिमालय में पश्चिमीतम मंदिर है, जो बंदर पुंछ पर्वत की एक झुंड के ऊपर स्थित है यमुनोत्री में मुख्य आकर्षण देवी यमुना के लिए समर्पित मंदिर और जानकीचट्टी 7 किमी दूर में पवित्र तापीय झरना है।

कैसे पहुंचें : यमुनोत्री के लिए हेलीकॉप्टर सेवा

प्रस्थान स्थान: सहस्त्रधारा हेलिपैड, देहरादून

गंतव्य: खरसाली हेलिपैड (यमुनोत्री के पास)

यात्रा समय: लगभग 30-45 मिनट

ट्रेन द्वारा – यमुनोत्री ट्रेन द्वारा सीधे नहीं पहुँचा जा सकता क्योंकि वहां तक रेलवे लाइन नहीं जाती। लेकिन आप ट्रेन और फिर सड़क मार्ग (बस/टैक्सी) का उपयोग करके आसानी से पहुँच सकते हैं।

निकटतम रेलवे स्टेशन : देहरादून रेलवे स्टेशन या ऋषिकेश रेलवे स्टेशन

देहरादून से यमुनोत्री तक सड़क मार्ग

देहरादून से मसूरी से बड़कोट से जानकीचट्टी कुल दूरी लगभग 180 से 190 किमी

समय: लगभग 7–9 घंटे, सड़क की स्थिति और ट्रैफिक पर निर्भर करता है

माध्यम: प्राइवेट टैक्सी, सरकारी/प्राइवेट बस, या शेयरिंग जीप

जानकीचट्टी से यमुनोत्री पैदल यात्रा:- जानकीचट्टी से  यमुनोत्री मंदिर  लगभग 6 किलोमीटर ट्रैक

यह ट्रैक घोड़े, डोली, पालकी या पैदल तय किया जा सकता है

रास्ता सुंदर लेकिन थोड़ा कठिन होता है, खासकर पहली बार जाने वालों के लिए

गंगोत्री

गंगोत्री ,गंगा नदी की उद्गम स्थान है एवं उत्तराखंड के चार धाम तीर्थयात्रा में चार स्थलों में से एक है | नदी के स्रोत को भागीरथी कहा जाता है , और देवप्रयाग के बाद से यह अलकनंदा में मिलती है, जहाँ से गंगा नाम कहलाती है | पवित्र नदी का उद्गम गोमुख पर है जो की गंगोत्री ग्लेशियर में स्थापित है, और गंगोत्री से 19 किलोमीटर का ट्रेक है।

 कैसे पहुंचें :- गंगोत्री के लिए हेलीकॉप्टर सेवा

प्रस्थान स्थान: सहस्त्रधारा हेलिपैड, देहरादून

गंतव्य: हर्सिल हेलिपैड (गंगोत्री के पास)

यात्रा समय: लगभग 45-60 मिनट

यात्रा पैकेज: एक दिवसीय पैकेज होते हैं, जिसमें गंगोत्री मंदिर में दर्शन और वापसी शामिल होती है।

उपलब्धता: एमआर पायलट, चारधाम टूर, और अन्य कंपनियां यह सेवा प्रदान करती हैं ।​

ट्रेन द्वारा – गंगोत्री तक ट्रेन से यात्रा करना वर्तमान में संभव नहीं है, क्योंकि गंगोत्री तक रेलवे लाइन नहीं जाती है। हालांकि, गंगोत्री तक रेल मार्ग निर्माण की प्रक्रिया जारी है, जो भविष्य में यात्रा को सुविधाजनक बनाएगा।

गंगोत्री तक ट्रेन यात्रा की वर्तमान स्थिति

निकटतम रेलवे स्टेशन: ऋषिकेश रेलवे स्टेशन, जो गंगोत्री से लगभग 249 किमी दूर है।

वर्तमान में उपलब्ध ट्रेनें: ऋषिकेश रेलवे स्टेशन से विभिन्न प्रमुख शहरों के लिए नियमित ट्रेन सेवाएं उपलब्ध हैं, जैसे दिल्ली, मुंबई, अमृतसर, कोलकाता आदि।

गंगोत्री तक यात्रा: ऋषिकेश रेलवे स्टेशन से गंगोत्री तक पहुँचने के लिए आपको सड़क मार्ग का उपयोग करना होगा, जैसे टैक्सी, बस या साझा कैब।

सड़क द्वारा- गंगोत्री तक पक्की सड़क है, यानी आप अपनी गाड़ी, टैक्सी या बस से सीधे वहाँ तक पहुँच सकते हैं — किसी प्रकार की ट्रैकिंग की ज़रूरत नहीं है।

मुख्य मार्ग (प्रमुख शहरों से) :-  देहरादून से गंगोत्री

देहरादून-ऋषिकेश-नरेन्द्रनगर-चिन्यालीसौड़-उत्तरकाशी-गंगोत्री 

कुल दूरी: लगभग 270–280 किमी समय: लगभग 10–12 घंटे रास्ता: पहाड़ी, घुमावदार, लेकिन सुंदर प्राकृतिक दृश्यों से भरा

केदारनाथ

केदारनाथ, उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल है। यह भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है और भारत के चार धामों में से भी एक है। केदारनाथ मंदिर समुद्र तल से 3,584 मीटर की ऊंचाई पर, हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओं के बीच मंदाकिनी नदी के किनारे स्थित है. यह मंदिर 1000 साल से भी अधिक पुराना माना जाता है।

केदारनाथ के लिए हेलीकॉप्टर सेवा

2025 में देहरादून से केदारनाथ के लिए डायरेक्ट हेलीकॉप्टर सेवा फिलहाल उपलब्ध नहीं है। हालांकि, चार्टर हेलीकॉप्टर के माध्यम से यह यात्रा संभव है।

रूट: देहरादून (सहस्त्रधारा हेलिपैड)  से  सिरसी हेलिपैड से  केदारनाथ धाम

समय: लगभग 30–45 मिनट (एकतरफा)

ट्रेन यात्रा की वर्तमान स्थिति

वर्तमान में, केदारनाथ तक कोई सीधी ट्रेन सेवा उपलब्ध नहीं है। निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है, जो केदारनाथ से लगभग 229 किलोमीटर दूर स्थित है। ऋषिकेश से केदारनाथ तक पहुंचने के लिए यात्रियों को सड़क मार्ग का सहारा लेना पड़ता है।

केदारनाथ की सड़क यात्रा :- मुख्य मार्ग

दिल्ली से ऋषिकेश 240 किमी अनुमानित समय 6 से 7 घंटे

ऋषिकेश से गौरीकुंड 210 किमी अनुमानित समय 8 से 10 घंटे

अंतिम सड़क मार्ग गौरीकुंड

केदारनाथ के लिए अंतिम सड़क मार्ग गौरीकुंड तक ही जाता है।

गौरीकुंड से आगे कोई भी पक्की सड़क नही है गौरीकुंड से आगे की 18 किमी की यात्रा के लिए आपके पास 4 विकल्प है जिसमे हैली सेवा, घोड़े/खच्चर, कंडी/डंडी, और पैदल यात्रा।

उपलब्ध परिवहन

प्राइवेट टैक्सी या अपनी गाड़ी से यात्रा

उत्तराखंड परिवहन की सरकारी बसें (उत्तराखंड रोडवेज) से यात्रा

ऋषिकेश हरिद्वार से सीधी बस सेवा गौरीकुंड के लिए (केवल यात्रा सीजन मे उपलब्ध)

रुकने का स्थान

गौरीकुंड – यहाँ आप एक रात विश्राम कर सकते हो और अगले दिन बाबा केदार के दर्शन के लिए निकल सकते हो यहा पर कुछ होटल, धर्मशालाएं आपके ठरने के लिए उपलब्ध हो जाएंगी।

केदारनाथ – यहाँ भी आपको रात्री विश्राम के लिए गेस्ट हाउस, लाज, टैंट इत्यादि उपलब्ध हो जाएंगे।

मौसम और यात्रा का सही समय

सबसे अच्छा समय मई से जून, या सितंबर से अक्टूबर के बीच है क्योंकि जुलाई अगस्त मे बारिश, भूस्खलन का समय होता है जिस वजह से इन दो माह यात्रा धीमी हो जाती है।

बद्रीनाथ

बद्रीनाथ धाम, हिंदुओं के चार धामों में से एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल है यह उत्तराखंड के चमोली जिले में अलकनंदा नदी के तट पर, नर और नारायण नामक दो पर्वतों के बीच स्थित है इस धाम को भगवान विष्णु का वास माना जाता है और इसे बैकुंठ धाम भी कहा जाता है।

देहरादून से हेलीकॉप्टर सेवा:

सेवा प्रदाता : रुद्राक्ष एविएशन

उड़ान मार्ग : देहरादून (जौलीग्रान्ट) से बद्रीनाथ से गुप्तकाशी से केदारनाथ गुप्तकाशी से देहरादून

समय : कुल यात्रा समय लगभग 2 घंटे

उड़ान क्षमता : 18 से 20 यात्री

बुकिंग: ऑनलाइन बुकिंग के लिए heliservices.uk.gov.in पर जाएं ​RajyaSameeksha+1Dainik Bhaskar+1The Indian Community+2TripGhumo+2Dainik Bhaskar+2

महत्वपूर्ण जानकारी:

हेलीकॉप्टर सेवा मौसम पर निर्भर होती है; खराब मौसम में उड़ानें रद्द हो सकती हैं।

मानसून के दौरान (जून से अक्टूबर) उड़ानें सीमित होती हैं।

हेलीकॉप्टर टिकटों की मांग अधिक होने के कारण बुकिंग पहले से करना आवश्यक है।

ट्रेन यात्रा की स्थिति

देहरादून से बद्रीनाथ के लिए ट्रेन सेवा:

वर्तमान में देहरादून से बद्रीनाथ के लिए कोई सीधी ट्रेन सेवा उपलब्ध नहीं है।

निकटतम रेलवे स्टेशन हरिद्वार 316 किमी और ऋषिकेश 292 किमी है।  

इन स्टेशनों से टैक्सी या बस के माध्यम से बद्रीनाथ पहुंचा जा सकता है।​

सड़क मार्ग : मुख्य मार्ग:

देहरादून-ऋषिकेश-जोशिमठ-हेलंग-बद्रीनाथ

जोशीमठ से बद्रीनाथ की दूरी लगभग 46 किमी है

उपलब्ध परिवहन

बस सेवा: ऋषिकेश और हरिद्वार से बद्रीनाथ के लिए सरकारी और निजी बसें उपलब्ध हैं।

टैक्सी: जोशीमठ और आसपास के क्षेत्रों से टैक्सी सेवा उपलब्ध है।

रुकने का स्थान

GMVN (गढ़वाल मंडल विकास निगम): धर्मशालाएं और डॉर्मिट्री उपलब्ध हैं।

प्राइवेट होटल्स: बजट से लेकर लग्जरी तक विकल्प उपलब्ध हैं।

ऑनलाइन बुकिंग: GMVN की आधिकारिक वेबसाइट पर रुकने की व्यवस्था की जा सकती है।

मौसम और यात्रा का सही समय

सर्वोत्तम यात्रा समय: मई से जून और अक्टूबर से नवंबर तक।

मौसम: गर्मी में मौसम सुहावना रहता है, जबकि मानसून में बारिश और बर्फबारी की संभावना रहती है।

सावधानियाँ: मौसम की स्थिति के अनुसार यात्रा की योजना बनाएं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *