गणेश चतुर्थी 2024

भगवान गणपति का जन्म भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि, चित्रा नक्षत्र और मध्याह्र काल में हुआ था। सनातन धर्म में भगवान गणेश की सबसे पहले पूजा की जाती है और हिंदू देवी-देवताओं में सबसे प्रसिद्ध और ज्यादा पूजे जाने वाले देवता हैं।

आज यानी 7 सितंबर से गणेश उत्सव शुरू हो रहा है. 10 दिन तक चलने वाले इस महोत्सव का समापन अनंत चतुर्दशी पर होता है. अनंत चतुर्दशी तिथि को गणपति विसर्जन कर दिया जाता है. इस साल गणेश विसर्जन 17 सितंबर को होगा.

गणेश चतुर्थी शुभ योग 2024

इस बार गणेश चतुर्थी पर बहुत ही अच्छा और शुभ सुमुख नाम का संयोग बना हुआ है। सुमुख योग में भगवान गणेश की स्थापना और पूजा बहुत ही फलदायी मानी गई है। सुमुख नाम भगवान गणेश का एक नाम भी है। इसके अलावा आज गणेश चतुर्थी पर बुधादित्य, सर्वार्थसिद्धि और पारिजात योग बना हुआ है। इस संयोग में गणेश स्थापना बहुत सी शुभ माना जाता है। 

  • ब्रह्म योग: सुबह 06:02 बजे से रात 11:17 बजे तक.
  • . इंद्र योग: रात 11:17 बजे से कल पूरे दिन.
  • रवि योग: सुबह 06:02 बजे से दोपहर 12:34 बजे तक.
  • सर्वार्थ सिद्धि योग: दोपहर 12:34 बजे से कल सुबह 06:03 बजे तक.
  • चित्रा नक्षत्र: प्रात:काल से दोपहर 12:34 बजे तक
  • स्वाति नक्षत्र: दोपहर 12:34 बजे से कल दोपहर 03:31 बजे तक
गणेश चतुर्थी पर मूर्ति की स्थापना, शुभ मुहूर्त और नियम

गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना की जाती है। गणेशजी की कृपा पाने के लिए बेहद जरुरी है कि आप शुभ मुहूर्त में ही गणेशजी की स्थापना करें। आइए जानते हैं 7 सितंबर के दिन गणेशजी की मूर्ति की स्थापना का शुभ मुहूर्त कितने समय के लिए है साथ ही जानें स्थापना के नियम।

गणेश चतुर्थी मूर्ति स्थापना का शुभ मुहूर्त

  • अभिजित मुहूर्त का समय सुबह 11 बजकर 54 मिनट से दोपहर में 12 बजकर 44 मिनट तक।
  • सर्वार्थ सिद्धि योग दोपहर में 12 बजकर 34 मिनट तक।
  • शुभ चौघड़िया का समय सुबह 8 बजे से 9 बजकर 33 मिनट तक।
  • चल चौघड़िया का समय दोपहर में 12 बजकर 38 मिनट से 2 बजकर 11 मिनट तक।

गणेशजी की मूर्ति की स्थापना के लिए सबसे उत्तम मुहूर्त यही सब हैं। गणेश चतुर्थी के दिन आप इनमें से किसी भी मुहूर्त में गणेशजी को विराजमान कर सकते हैं।

गणपति बप्पा मोरया, गणेश चतुर्थी पर देशभर में गणपति जी के जयकारों की गूंज सुनाई देगी। हर साल भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन बहुत ही धूमधाम से देशभर में गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है। बहुत ही धूमधाम से देशभर में गणेश उत्सव मनाते हैं। गणेश चतुर्थी से ही इसका शुरुआत हो जाती है और यह अनंत चतुर्दशी तक चलता है। गणेश चतुर्थी के दिन गणपति जी को घर, पंडाल में विराजमान किया जाता है। गणेशजी की स्थापना शुभ मुहूर्त में ही करनी चाहिए। ऐसा करने से बुद्धि में वृद्धि होने के साथ ही जीवन में सुख समृद्धि आती है। आइए जानते हैं गणेश चतुर्थी पर गणेशजी की स्थापना का शुभ मुहूर्त क्या है।

गणेश स्थापना पूजा विधि

आज से गौरीनंदन भगवान गणेश 10 दिनों तक घर-घर विराजेंगे। देशभर में बने गणपति जी भव्य पंडालों में अपने भक्तों को दर्शन देंगे। इसके अलावा गणेशजी की प्रतिमा की स्थापना लोग अपने घरों पर भी करते हैं। गणेश पुराण के अनुसार भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मध्याह्र व्यापिनी में करने का विधान बताया गया है। सबसे पहले सूर्योदय से पहले उठकर अपने दैनिक क्रियाकर्म करके स्नान करते हुए साफ-सुथरे कपड़े पहनें। फिर घर के जिस स्थान पर बप्पा की मूर्ति को स्थापति करना है वहां पर साफ सफाई करते हुए आसन पर बैठे और गणेश की स्थापना का संकल्प लें। इसके बाद बप्पा की लाई गई मूर्ति के आंखों में बांधी गई लाल रंग की पट्टी को उतारते हुए षोडशोपचार विधि से भगवान गणेश का आवाहन करते हुए उनकी पूजा आरंभ कर दें। इसके बाद हाथ में गंगाजल, फूल और कुश लेते हुए गणेश जी के मंत्रों का जाप करते हुए भगवान गणेश को धूप ,दीप और पुष्प अर्पित करें। भगवान गणेश को मोदक बहुत ही प्रिय होता है ऐसे में उन्हें मोदक, दुर्वा, केले, मोतीचूर के लड्डू चढ़ाएं।

गणेश जी के मंत्र

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

एकदन्तं महाकायं लम्बोदरगजाननम्ं।

विघ्नशकरं देवं हेरम्बं प्रणमाम्यहम्॥

गजराजमुखाय ते नमो मृगराजोत्तमवाहनाय ते ।

द्विजराजकलाभृते नमो गणराजाय सदा नमोऽस्तु ते ॥

गजाननाय पूर्णाय साङ्ख्यरूपमयाय ते ।

विदेहेन च सर्वत्र संस्थिताय नमो नमः ॥

अमेयाय च हेरम्ब परशुधारकाय ते ।

मूषक वाहनायैव विश्वेशाय नमो नमः ॥